बीटो केयर प्रोग्राम की प्रमुख विशेषताएं जो कि सदस्यों को इस प्रोग्राम में जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं उनमें प्रमुख रूप से डायबिटीज विशेषज्ञों द्वारा वर्चुअल परामर्श, विशेषज्ञों द्वारा प्रेषित की गई डायबिटीज, बीपी, एवम कोलेस्ट्रॉल की सभी दवाएं बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के सदस्यों को घर पर पहुंचाई जाती है। इसके साथ-साथ डायबिटीज केयर कोचेस एवं डाइटिशियन के माध्यम से डाइट काउंसलिंग एवं मॉनिटरिंग के लिए ग्लूकोमीटर एवं ग्लूकोस्ट्रिप्स इस प्रोग्राम में शामिल की गई हैं| मास्टर शेफ के फाइनलिस्ट एवम बीटों लैब द्वारा डिजाइन की गई डायबिटीज के अनुकूल स्थानीय रेसिपीज सभी सदस्यों को प्रदान की जाती है ।सार्थक जीवन शैली में मदद हेतु बीटों के योगा थैरेपिस्ट एवं ब्रेथवर्क कोच द्वारा एक्सक्लूसिव योगा कोर्स भी इस प्रोग्राम में शामिल किया गया है
डॉ नवनीत अग्रवाल हेड एंड सीनियर वाइस प्रेसिडेंट केयर प्रोग्राम बीटों ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा डिजाइन किए गए इस संरचित डायबिटीज नियंत्रण प्रोग्राम के माध्यम से व्यक्ति अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकता है एवं hba1c में सुधार ला सकता है अपने वजन में नियंत्रण पा सकता है तथा भविष्य में होने वाले डायबिटीज जनित जटिलताओं की संभावना को भी कम कर सकता है|
2019 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर की 41 वर्षीय श्रीमती दीपा काम्बले में टाइप टू डायबिटीज पाई गई| वे अपने डायबिटीज नियंत्रण के उचित परामर्श के लिए परेशान हो रही थी| मार्च में वह बीटो के डायबिटीज केयर प्रोग्राम से जुड़ गई| मार्च में उनका hba1c 11.5 फीसदी था जो जून में 7.9 फीसदी आ गया| वह प्रतिदिन 42 यूनिट इंसुलिन लेती थी जो अब पूरी तरह से बंद हो गया है| उनके अनुसार बीटो का डायबिटीज केयर प्रोग्राम "मां के जैसा" है जो दिन के हर मिनट पर उनका ध्यान रखता है| वह अपने खाने की प्लेट भी अपनी डायबिटीज कोचेस को भेजती है एवं बीटों की व्यक्तिगत डायबिटीज कोचेस उनका विश्लेषण करने के बाद उन्हें खाने एवं जीवन शैली के बारे में मार्गदर्शन देती है।
डायबिटीज केयर प्रोग्राम के लांच पर बात करते हुए गौतम चोपड़ा सीईओ एवं संस्थापक बीटो ने बताया कि डायबिटीज आज भारत में खासतौर से मध्यम शहरों, एवं छोटे शहरों में चिंता का विषय बनता जा रहा है| जहां मरीजों के लिए किफायती इलाज एवं देखभाल उपलब्ध नहीं है वही लाखों भारतीयों को डायबिटीज के प्रबंधन, नियंत्रण एवं इसके इलाज को सस्ता करना भी बीटो के डायबिटीज केयर प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है। इस प्रोग्राम को किफायती बनाकर 24/7 शीर्ष पायदान के डॉक्टरों एवम कोचेस का सहयोग उपलब्ध कराकर तथा मरीजों को प्रतिदिन दवाइयां एवं मॉनिटरिंग उपलब्ध कराकर बीटों ने डायबिटीज एवं उससे होने वाली अन्य बीमारियों को काफी हद तक नियंत्रण में किया है|
बीटो के इन प्रोग्रामों के परिणाम विश्व के शीर्ष संस्थान जैसे अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन, अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजिशियन,एडवांस टेक्नोलॉजी एंड ट्रीटमेंट फॉर डायबिटीज तथा जर्नल ऑफ़ डायबिटीज, मेटाबॉलिक सिंड्रोम एंड ओबेसिटी टारगेटेड थेरेपी द्वारा प्रकाशित किए जा चुके हैं|
डायबिटीज केयर प्रोग्राम एवं इसके साथ मुफ्त ग्लूकोमीटर पाने के लिए 7401000100 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं|
बीटो के बारे में:-
बीटो एक डिजिटल ऐप आधारित प्लेटफार्म है जो डायबिटीज की देखभाल के लिए प्रमाणित एवं व्यापक प्रोग्राम उपलब्ध कराता है यह प्रोग्राम डायबिटीज विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में डायबिटीज की रोकथाम एवम नियंत्रण में काफी हद तक कारगर है कंपनी को स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए नेशनल स्टार्टअप अवार्ड 2021 से सम्मानित किया गया है इनके परिणामों को शीर्ष पायदान के चिकित्सा संस्थानों जैसे अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन, डब प्रेस तथा एडवांस टेक्नोलॉजी एंड ट्रीटमेंट फॉर डायबिटीज द्वारा प्रकाशित किया गया है डायबिटीज एवं स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए यह सिस्टम एआई द्वारा पावर्ड है जो डायबिटीज के अनुभवी विशेषज्ञों, पोषण विशेषज्ञों एवं डॉक्टरों की टीम के माध्यम से व्यक्तिगत रुझान एवं रियल टाइम डाटा देता है बीटो ऐप डायबिटीज के मरीजों की हर जरूरत के लिए व्यापक समाधान पेश करता है जैसे दवाएं, लैब टेस्ट, किफायती इंश्योरेंस एवं विशेष रूप से तैयार किए गए भोजन एवं पेय पदार्थ |
अस्वीकरण
*डायबिटीज़ सिर्फ उन मरीज़ों में ठीक हो सकता है जिनमें टाईप-2 डायबिटीज़ या प्री-डायबिटीज़ है। डायबिटीज़ ठीक होने का अर्थ है कि फार्मेकोलोजिक (मेडिकेशन) या सर्जिकल थेरेपी के अभाव में HbA1c 6-5 फीसदी से कम है। ठीक होने का अर्थ उपचार नहीं है।
*रिवर्सल प्रोटोकॉल की सलाह उन लोगों को नहीं दी जाती है, जो अडवान्स्ड रीनल इनसफिशिएन्सी, पैनक्रियाटिटिस, पायरूवेट कार्बोक्सिलेज़ की कमी, हाइपरकायलोमाइक्रोनेमिया, कैंसर, ईटिंग डिसऑर्डर, टाईप-1 डायबिटिज़ से पीड़ित हैं या जो महिलाएं गर्भवती है या बच्चे को स्तनपान कराती हैं।
*इन परिस्थितियों में सावधानी बरतने की ज़रूरत हैः हाइपरटेंशन, गुर्दे में पथरी, गठिया के मरीज़, जिनके किडनी फंक्शन ठीक न हों या जिनका गॉल ब्लैडर निकाला जा चुका हो। उन्हें विशेष देखभाल और सावधानी बरतने की ज़रूरत होती है।
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