टीबी (तपेदिक) की प्रारंभिक पहचान इसकी रोकथाम और उपचार की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण कदम है। कालाहांडी के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती रही क्योंकि जिले का एक तिहाई हिस्सा घने जंगलों और पथरीले पहाड़ी भूभागों से ढँका है। ड्रोन पायलट को कालाहांडी जिले के तीन ब्लॉकों - केसिंगा, नारला और भवानीपटना में लागू किया गया था, ताकि परिवहन की गति को तेज करने के तरीकों का पता लगाया जा सके और शीघ्र निदान को सक्षम किया जा सके। अनामया टीम ने आवश्यक अनुमति और समर्थन की व्यवस्था करने के लिए स्थानीय शासन के साथ समन्वय किया और संपूर्ण परियोजना प्रबंधन की देखरेख की। उन्होंने सोर्स लोकेशन से समय पर नमूना संग्रह सुनिश्चित करने के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ मिलकर काम किया।
ड्रोन की तैनाती के साथ, पहाड़ी, पथरीली व घने जंगलों के बीच से जिस 36 किलोमीटर की दूरी को तय करने में लगभग 55 मिनट का समय लगता था, उसे आधे से भी कम समय, लगभग 20 मिनट में तय कर लिया गया। रेडविंग टीम ने इस पायलट की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप ड्रोन को अनुकूलित किया और ड्रोन की परिचालन दक्षता सुनिश्चित की। इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन में 2 -3 किलोग्राम वजन की चीज को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने की क्षमता थी। एक उड़ान के दौरान दो गांवों से कुल मिलाकर 34 नमूने एकत्र किए गए।
पीरामल फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आदित्य नटराज ने कहा, “भारत में हर साल टीबी के सबसे अधिक मामले दर्ज होते हैं और इससे जुड़ी मौतें होती हैं। सबसे पुरानी बीमारियों में से एक होने के बावजूद, हम टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई में आगे नहीं बढ़े हैं। फास्ट - ट्रैक उपचार के लिए निदान बहुत महत्वपूर्ण है और बलगम के नमूने का संग्रह इस हेतु एक महत्वपूर्ण कदम है। यह महत्वपूर्ण है कि बलगम को अधिक तेजी से डायग्नोस्टिक सेंटर तक सुरक्षित रूप से पहुंचाया जाए।"
ड्रोन पायलट के माध्यम से हमारा उद्देश्य बलगम के नमूने को अदूषित रूप में उचित तरीके से नैदानिक केंद्र तक पहुँचाने के समय को कम करना था।
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