पीएचडी चैंबर- राजस्थान चैप्टर ने 25 जनवरी-2022 को "किक स्टार्टिंग एग्री बिजनेस स्टार्टअप्स - राजस्थान में कृषि व्यवसायों में अपार अवसर" पर एक वेबिनार का आयोजन किया पीएचडीसीसीआई राजस्थान चैप्टर के अध्यक्ष श्री दिग्विजय ढाबरिया ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि राजस्थान में सरसों, इसबगोल, बाजरा, तिलहन, दालें, फल, सब्जियां, औषधीय एवं ऐरोमैटिक उत्पाद सहित कई कृषि फसलों में प्रमुख स्थिति को देखते हुए कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में अपार अवसर हैं तथा इन्हें भुनाने के लिए कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा देने का यह सही समय है इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सोहन लाल शर्मा, आईएएस, निदेशक, कृषि विपणन विभाग, राजस्थान सरकार ने बताया कि सरकार राज्य में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए एक बहुत ही प्रभावी और अनुकूल ईको सिस्टम बनाया है और इस क्षेत्र के लिए एक व्यापक नीति "राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय और कृषि निर्यात संवर्धन नीति-2019" घोषित की है कृषि क्षेत्र की आपूर्ति श्रंखला प्रत्येक पहलू को संबोधित करती है और किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों, स्टार्टअप्स और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में अन्य हितधारक को विभिन्न सब्सिडी एवं सहायता प्रदान करती है।उन्होंने आगे बताया कि स्टार्टअप्स के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार बहुत जल्द आकर्षक प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा करने परविचार कर रही है।उन्होंने बताया कि राज्य की विभिन्न मंडियों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के अलावा कृषि भूमि पर कृषि व्यवसाय शुरू करने के लिए बहुत ही आकर्षक एवं सरल भूमि संरक्षण नियमों की घोषणा की गई है जो राज्य में कृषि क्षेत्र स्टार्टअप्स को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगे।
इस अवसर पर प्रख्यात वक्ताओं में डॉ. रमेश मित्तल, निदेशक, राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान (एनआईएएम), श्री पी.आर. शर्मा, अतिरिक्त निदेशक, उद्योग विभाग और सीईओ, राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद, राजस्थान सरकार, अजय कुमार गुप्ता, प्रबंध निदेशक, कामटेक एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड और धवल सिंघल, सलाहकार, राजस्थान सरकार के आईस्टार्ट प्रोजेक्ट ने भी राज्य में कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए अपने विचार साझा किए।डॉ. रमेश मित्तल ने एनआईएएम द्वारा प्रचारित विभिन्न कृषि स्टार्टअप के बारे में जानकारी दी और विभिन्न संभावित क्षेत्रों जिनमें अनार, जैतून, इसबगोल, क्विनोआ, अंजीर, खजूर, मसाले, जड़ी- बूटियां, सीताफल, अमरूद, मेंहदी, प्लांट लेदर आदि के बारे में बताते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीक का उपयोग करके इनोवेटिव स्टार्टअप के माध्यम से मूल्यवर्धन के विशाल अवसरों के बारे में बताया । उन्होंने फार्म लेट मॉडल, फार्म गेट फूड प्रोसेसिंग, लो कॉस्ट वेयरहाउस, फ्रेश फ्रूट क्वालिटी मैनेजमेंट, फोल्डेबल वेयरहाउस, प्रेसिजन फार्मिंग, फार्म टू फोर्क आदि जैसे नए नवाचारों को अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया एवं नियाम के द्वारा हर संभव सहायता प्रदान करने की पेशकश की ।अजय गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में कृषि क्षेत्र में मूल्यवर्धन को वर्तमान में 15% से बढ़ाकर 65 से 70% करने की आवश्यकता है, जिसके लिए क्लस्टर दृष्टिकोण, छोटी और सस्ती मशीनों और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होगी जो बड़ी संख्या में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यम और स्टार्टअप को बढ़ावा देगी। ।
श्री धवल सिंघल ने बताया कि राजस्थान सरकार आईस्टार्ट कार्यक्रम के तहत विभिन्न शहरों में इनक्यूबेशन सेंटर विकसित कर रही है, जो स्टार्टअप्स को मुफ्त में सुलभ होंगे और बहुत ही आकर्षक फंडिंग सहायता प्रदान की जाएगी।विवेक सेहगल, एएसजी, पीएचडी चैंबर ने अपनी टिप्पणी में कृषि क्षेत्र से निर्यात बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया और राजस्थान के बारे में एक रेगिस्तान और पानी की कमी वाले राज्य की धारणा को कृषि क्षेत्र में अवसरों से भरे राज्य में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। सुमेर सिंह शेखावत, सह-अध्यक्ष, पीएचडी चैंबर- राजस्थान चैप्टर एवं अध्यक्ष, प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन राजस्थान वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया एवं आयोजन के प्रायोजकों मेसर्स अंबिका टेक्नोप्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड और प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन राजस्थान का आभार व्यक्त किया ।
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