भविष्य के लिए आशावादी नजरिए के साथ मणिपाल यूनिवर्सिटी, जयपुर में इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन की तीन दिवसीय 103 वीं व 104 वीं एनुअल कॉन्फ्रेंस का समापनजयपुर। वर्तमान परिदृश्य में हमें हमारे दृष्टिकोण, विचारों व आकांक्षाओं पर फिर से नजर डालने और इन्हें समय के अनुसार नवीनीकृत करने तथा वास्तविक स्थिति का आकलन करने की आवश्यकता है। समय, ऊर्जा एवं उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना वर्तमान समय की मांग है। हमें गुणवत्ता, सतत व सामूहिक विकास की दिशा में भी काम करना चाहिए। यह कहना था डॉ. भीमराव अम्बेडकर लॉ यूनिवर्सिटी के संस्थापक व कुलपति, प्रोफेसर देव स्वरूप का। वे आज मणिपाल यूनिवर्सिटी, जयपुर में इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन की तीन दिवसीय 103 वीं व 104 वीं एनुअल कॉन्फ्रेंस के समापन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
प्रो. स्वरूप ने आगे कहा कि अर्थशास्त्र सभी सामाजिक एवं विकासात्मक प्रक्रियाओं का हिस्सा है। कोई भी नीति बनाते समय आर्थिक कारकों को सर्वाधिक प्राथमिकता दी जाती है। अर्थशास्त्र कानूनी शिक्षा में भी अहम भूमिका निभाता है। इस अवसर पर वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति, डॉ. आर. एल. गोदारा गेस्ट ऑफ ऑनर थे। उन्होंने कहा कि कृषि, सेवा एवं व्यापार देश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण भाग हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए नवाचार और उद्यमिता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. ए. डी. एन. बाजपेयी ने कहा कि वर्तमान में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। ऐसे में अर्थशास्त्रियों को अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ विकास पर भी ध्यान देना चाहिए। इस अवसर पर स्टारेक्स यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम के प्रोफेसर मदन मोहन गोयल द्वारा 'नीडोनॉमिक्स फॉर सस्टेनेबल सोसायटी' विषय पर प्रजेंटेशन दिया गया। इससे पूर्व एमयूजे के कुलपति, प्रोफेसर जी. के. प्रभु ने अपने स्वागत भाषण में तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस के सफल आयोजन के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों, इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन और एमयूजे की टीम का आभार व्यक्त किया। इस कॉन्फ्रेंस में कई महत्वपूर्ण आर्थिक विषयों पर चर्चा की गई।
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