जयपुर 23 मार्च 2021 : ग्लोबल रिसाइक्लिंग डे के अवसर पर, बिसलेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी पहल, बॉटल्स फॉर चेंज के जरिए स्वच्छ एवं स्वास्थ्यवर्द्धक पर्यावरण की शपथ ली। साथ ही, हमारे जीवन में प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग के महत्व के बारे में जागरूकता भी पैदा की। इस प्रोग्राम का उद्देश्य प्लास्टिक उत्पाद का उपयोग करने के बाद इसकी सफाई, इसे अलग रखने और इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजने की आदत विकसित करके समाज में बदलाव लाना है। प्लास्टिक को कचरा के रूप में फेंक दिया जाना इसका समाधान नहीं है; यदि प्लास्टिक का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग एवं निपटारा किया जाये, तो यह पर्यावरण के लिए नुकसानदेह नहीं है। बॉटल्स फॉर चेंज पहल के अंतर्गत इकट्ठा किये गये प्लास्टिक को चूर्ण-चूर्ण कर दिया जाता है जिससे वह बारीक फ्लेक्स में बदल जाता है। फिर, इन फ्लेक्स का उपयोग अखाद्य-पदार्थों जैसे कि फर्नीचर, कपड़े के धागे, जूते, टी-शर्ट्स, हैंडबैग्स व अन्य वस्तुओं को तैयार करने के लिए किया जाता है। इस पहला का उद्देश्य ‘आप जो बदलाव लाना चाहते हैं उसे पहले अपने आचरण में उतारें‘ की सोच को मूर्त रूप देना है और जिम्मेदारीपूर्वक प्लास्टिक का निपटारा करके एक मिसाल कायम करना है, जिससे कि पर्यावरण अधिक स्वच्छ बन सके। हर व्यक्ति को इस दिशा में पहल करनी चाहिए और भारत को रहने लायक बेहतर जगह बनाने हेतु हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
प्लास्टिक का रिसाइकिल करने की प्रक्रिया
चरण 1: इस्तेमाल किये गये प्लास्टिक को उपयोग के बाद साफ कर लें
चरण 2: प्लास्टिक को गीले और सूखे कचरे से अलग रखें
चरण 3: प्लास्टिक को कबाड़ीवाले (प्लास्टिक एजेंट) को सौंप दें
रिसाइकिल क्यों करें?
आपको पता है? यह एक गलत धारणा है कि कूड़े के ढेर में पड़ा पूरा प्लास्टिक कचरा होता है, क्योंकि भारत में प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग होती है। भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जो अपने यहां तैयार किये जाने वाले प्लास्टिक के 60% हिस्से को रिसाइकिल करता है। भारत में समाज का एक ऐसा वर्ग भी है जो असंगठित और मान्यता-रहित है, लेकिन वो भारत के वर्तमान रिसाइक्लिंग सिस्टम को खूबसूरत ढंग से प्रबंधित कर रहा है। हमारे देश में 4.5 मिलियन कूड़ा उठाने वाले (रैगपिकर्स) हैं, 1.5 मिलियन कबाड़ीवाले/रद्दी वाले हैं और 8000 रिसाइक्लिंग यूनिट्स हैं। हालांकि, बाकी 40% के रिसाइकिल न होने के पीछे यह कारण है कि इसे गंदा और बिना साफ किये ही फेंक दिया जाता है।
भारत के पास अपने 100 प्रतिशत प्लास्टिक को रिसाइकिल करने की क्षमता है, लेकिन यह केवल तभी संभव है जब हम उपभोक्ता प्लास्टिक को कचरा के रूप में न देखें। प्लास्टिक एक बहुमूल्य संसाधन है, क्योंकि इससे उस रैगपिकर (कूड़ा उठाने वाले) को प्रति किलो लगभग 10 रु. की कमाई होती है जो कूड़े में से प्लास्टिक बिन कर उठाते हैं, और यदि प्लास्टिक को साफ करके उसका निपटारा किया जाये, तो यह कीमत आगे बढ़ती ही जाती है। हाउसकीपिंग/रैगपिकर्स से लेकर कबाड़ीवाला और उसके बाद रिसाइक्लर तक की पूरी प्लास्टिक हैंडलिंग चेन टिकाऊ है।
यदि सही तरीके से अपनाया जाये, तो यह मॉडल ग्रीन एजेंट्स (रैगपिकर्स) के लिए भी सहायक है, जो एक ही बार में भारी मात्रा में साफ़ प्लास्टिक्स इकट्ठा कर सकते हैं और उन्हें इससे अच्छी कमाई हो सकती है। इससे उन्हें स्वच्छ कार्य-परिवेश, सम्मानपूर्ण जिंदगी, और हमारे एनजीओ पार्टनर्स के जरिए उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए सहायता भी मिल सकेगी।
प्लास्टिक हैंडलिंग के बॉटल्स फॉर चेंज मॉडल को सरकारी निकायों जैसे कि एनडीएमसी (नॉर्थ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन), ईडीएमसी (ईस्ट दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन), एसडीएमसी (साउथ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन), पनवेल म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, ठाणे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, नवी मुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, वसई विरार म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन और चेन्नई एनएसएस (नेशनल सर्विस स्कीम) से सहयोग मिलता रहा है।
इसकी शुरुआत के बाद से, ‘बॉटल्स फॉर चेंज’ प्रोग्राम के जरिए कॉर्पारेट ऑफिसेज, हाउसिंग सोसायटीज, स्कूल्स एवं कॉलेजेज में 600 से अधिक प्लास्टिक रिसाइक्लिंग जागरूकता कार्यक्रम एवं कार्यशालाएं आयोजित हो चुकी हैं। बिसलेरी के ‘बॉटल्स फॉर चेंज’ प्रोग्राम के माध्यम से 6500 टन से अधिक कचरा रिसाइकिल किया जा चुका है। 6,00,000 से अधिक नागरिक, 800 हाउसिंग सोसाइटीज, 500 कॉर्पोरेट्स, 500 होटल्स एवं रेस्टॉरेंट्स, 400 स्कूल्स और कॉलेज सफलतापूर्वक इस प्रोग्राम से जुड़ चुके हैं। 3,00,000 से अधिक छात्रों ने इस पहल से जुड़कर सक्रियतापूर्वक योगदान दिया है।
इसके अलावा, बॉटल्स फॉर चेंज ने मुंबईवासियों के लिए मोबाइल ऐप्प भी लॉन्च किया है। इस ऐप्प का उद्देश्य नागरिकों और प्लास्टिक कलेक्टिंग एजेंट्स (कबाड़ीवालों/एनजीओ) को एक साथ जोड़ना है। इस ऐप्प के जरिए विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपने नजदीकी प्लास्टिक एजेंट को ढूंढकर और उनसे संपर्क करके उन्हें साफ प्लास्टिक सौंप सकते हैं।
No comments:
Post a Comment